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सिर छांटें रूख़ रहे तो भी सस्त रजपुुुतीआण टुट गई तिरिया परवार देवी मस्तक अर्पित नारी समान वंश हत्या घर प्रेम कशिश

Hindi शहीदअमृता देवी बिश्नोई Poems